मेरा दुश्मन By Nazm << कोई बात नहीं परफ़्यूम >> उस ने जो ज़र्ब लगाई मुझे भरपूर लगी मैं ने जब वार क्या उस की जगह ख़ाली थी थक गया चूर हुआ हार गया वो मिरा दुश्मन-ए-अय्यार मुझे मार गया आख़िरी वक़्त में देखा तो वो दुश्मन मेरा और तो कुछ भी न था मेरी ही परछाईं था Share on: