ऐ मेरे प्यारे वतन हिन्दोस्तान है बहुत दिलचस्प तेरी दास्तान हर फ़ज़ा तेरी लुभाती है हमें हर अदा तेरी तो भाती है हमें तेरे हर गुलशन में पंछी नग़्मा-ख़्वाँ आशियाँ-दर-आशियाँ रत्ब-उल-लिसाँ मुख़्तलिफ़ तहज़ीब के इंसाँ यहाँ बोलते हैं अपनी अपनी बोलियाँ सोने चाँदी से अटी है ये ज़मीं ऐसी धरती सारी दुनिया में नहीं किस क़दर है दिल-नशीं तेरी फ़ज़ा अर्ज़-ए-बतहा तक गई तेरी फ़ज़ा 'मीर' ओ 'ग़ालिब' 'हसरत' ओ 'चकबस्त' ने भर दिए दफ़्तर तिरी तारीफ़ से ख़ूबसूरत ऐ मिरे हिन्दोस्ताँ तुझ पे करते हैं फ़िदा हम अपनी जाँ है ख़ुदा-ए-पाक तेरा पासबाँ ज़िंदा ओ पाइंदा-बाद हिन्दोस्तान