वलवले सीनों में ग़लताँ और रगों में गर्म ख़ूँ जोश-ए-बरनाई वुफ़ूर-ए-शौक़ अफ़्सुर्दा-दिली ज़िंदगी मौहूम दोराहा धुँदलके और ग़ुबार काहिश-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ सई-ए-मुसलसल और फ़िराक़ ज़िंदगी की कुल्फ़तों में इंतिज़ार ज़िंदगी काहिश-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ इक बहर-ए-ना-पैदा-कनार हासिल-ए-उम्र-ए-रवाँ है आज सोने की झलक और इक झंकार में दो बिछड़ी रूहों का मिलाप सामने हैं जब कि आसार-ए-सहर आह किस से लूँ मैं अपनी मुफ़्लिसी का इंतिक़ाम आह ये दिल सर्द रूहों का मिलाप