जो मेरी गोद में पल कर जवान हो गए हैं मिरे सफ़ीने के अब बादबान हो गए हैं वो जिन पे नील उभरते थे हाथ लगते ही वो फूल जैसे बदन अब चट्टान हो गए हैं वो जिन को सींचा था मैं ने अब उन के साए में हूँ कि अब वो नन्हे शजर साएबान हो गए हैं वो देख-भाल में जिन की गुज़र गई मिरी उम्र ख़ुदा का शुक्र मिरे पासबान हो गए हैं जो चंद फूल महकते थे मेरे आँगन में ख़ुशा नसीब वो ख़ुद गुलिस्ताँ हो गए हैं नहीं झुके हुए शानों का अब मुझे कोई ग़म ख़ुदा रखे मिरे बच्चे जवान हो गए हैं न पड़ना अपने पराए में तुम मिरे बच्चो तबाह इस से बहुत ख़ानदान हो गए हैं वो जिन की फ़िक्र में रहती थी मैं 'वफ़ा' बेचैन ग़म-ओ-ख़ुशी के मिरे तर्जुमान हो गए हैं