मोहब्बत काएनाती है By Nazm << नज़्म बे-हिसी दर्द की >> सजा कर तुम को पलकों पर बसा कर तुम को आँखों में कभी जब याद करती हूँ तो दिल के ताक़चों में तब अचानक दीप जलते हैं तसव्वुर के फ़लक पर जब मोहब्बत मुस्कुराती है तो मुझ को ऐसा लगता है मोहब्बत काएनाती है Share on: