तेरी दुनिया में तो नफ़रत का जहाँ बस्ता है मेरी दुनिया में मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं तेरे दिल को तो हज़ारों की लगन रहती है मेरे दिल में तिरी हसरत के सिवा कुछ भी नहीं तेरी आदत में अदावत की फ़रावानी है मेरी आदत में मुरव्वत के सिवा कुछ भी नहीं तेरे आलम में तख़य्युल है हसीं बातों का मेरे आलम में तो हैरत के सिवा कुछ भी नहीं हुस्न में तेरे है इक नूर की दुनिया रक़्साँ और मिरे इश्क़ में ज़ुल्मत के सिवा कुछ भी नहीं तेरी क़िस्मत में हैं तहरीर तरब-गूँ लम्हे मेरी क़िस्मत में मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं तेरी फ़ितरत तो है बातों से बताना दिल का मेरी फ़ितरत में सदाक़त के सिवा कुछ भी नहीं सच है 'अफ़ज़ल' को तिरे इश्क़ ने बर्बाद किया मर्तबा इस का भी था वर्ना बुलंद-ओ-बाला