इदराक By Nazm << दर्स-ए-ख़ुदी मोहब्बत के सिवा कुछ भी नह... >> जिस्म से रूह के फ़ासले तय करो रोज़-ओ-शब इन ख़लाओं में उड़ते रहो और फिर जब समुंदर में गिरने लगो तो कहो चाँद सूरज सितारे ज़मीं आसमाँ मेरे अपने बदलते हुए नाम हैं हर जगह मैं हूँ मेरे सिवा कुछ नहीं Share on: