मोहब्बत मर नहीं सकती हक़ीक़त फिर हक़ीक़त है हक़ीक़त मर नहीं सकती ख़ुदावंद-ए-मोहब्बत की शरीअ'त मर नहीं सकती मोहब्बत मर नहीं सकती बहर-सू जब्र-ओ-इस्तिबदाद चाहे सूलियाँ गाड़े उतर आएँ बलाएँ हाथ में ज़हराब ले ले कर फ़ज़ा बारूद बन कर भी सुलग उठे तो क्या होगा ये वो जज़्बा है जो ज़र्रों के सीने में नुमू पाए ये वो नग़्मा है जो ज़ख़्मों के होंटों से उभरता है मोहब्बत हुस्न-ए-फ़ितरत है ये फ़ितरत मर नहीं सकती मोहब्बत मर नहीं सकती कमाल-ए-फ़िक्र-ए-ताग़ूती कोई त्रिशूल ले आए फ़राईन-ए-कुहन ढल जाएँ चाहे पैकर-ए-नौ में समुंदर को सितमगर-हाथ गर तेज़ाब कर डालें हवाओं में हलाकत-गीरियाँ तहलील कर डालें मोहब्बत नूर है आलूदगी से जिस्म मरते हैं मोहब्बत में कोई आलूदगी ज़म हो नहीं सकती ये वो क़ुव्वत है जो शैतान से भी डर नहीं सकती मोहब्बत मर नहीं सकती