मोती वो हम ने पाया परतव से जिस के मुखड़ा जीवन का मुस्कुराया धरती पे नूर बिखरा आकाश जगमगाया तारीकियों में ग़म की जिस ने किया उजाला बे-ताब आँसुओं का हँसता हुआ वो हासिल तूफ़ान-ए-ज़िंदगी का वो पुर-सुकून साहिल वो बहर-ए-बे-कराँ की मव्वाजियों का पाला वो हुस्न-ए-सरमदी का ठहरा हुआ सफ़ीना वो ख़ातम-ए-मोहब्बत का जावेदाँ नगीना ग़म ने जिसे तराशा इशरत ने जिस को ढाला वो गोश-ए-आरज़ू का आवेज़ा-ए-मुतह्हर सीना पे आबरू के वो हैकल-ए-मुनव्वर वो चर्ख़-ए-ज़िंदगी का दमका हुआ सितारा हर चश्म-ए-जौहरी का मक़्सूद था ये मोती मंदिर में मोतियों के मा'बूद था ये मोती हसरत से मुंतज़िर थी हर ताबनाक माला वो तलअ'त-ए-सबाही वो इशरत-ए-शबाना वो वक़्त की अमानत वो दौलत-ए-ज़माना रस्ते में चलते चलते जुगनू सा जगमगाया मोती वो हम ने पाया