लोग उस्ताद जिस को कहते हैं उस का रुत्बा अज़ीम होता है मर्तबा उस का जो नहीं समझे वो सदा ज़िंदगी में रोता है इल्म की एक अंजुमन उस्ताद फूल शागिर्द और चमन उस्ताद कितना ऊँचा मक़ाम है उस का सारी दुनिया में नाम है उस का ज़ेहन-ओ-दिल को सँवारते रहना रात दिन बस ये काम है उस का फ़िक्र उस की जहाँ महकती है राह तारीक भी चमकती है फ़िक्र उस की सुरूर महफ़िल का फ़िक्र उस की सुकून साहिल का फ़िक्र उस की चराग़ है दिल का फ़िक्र उस की है नूर मंज़िल का उस का साया ख़ुदा की रहमत है तर्बियत उस की एक ने'मत है उस का जो एहतिराम करते हैं दोनों आलम में उन की इज़्ज़त है उस की ख़िदमत से नूर मिलता है ज़िंदगी का शुऊ'र मिलता है ज़िंदगी का पयाम है उस्ताद क़ाबिल-ए-एहतिराम है उस्ताद