किताबों में लिखी मुआशरती बे-हिसी की ला-ज़वाल कहानियों से ना-आश्ना जब कोई लड़की अपने आश्ना के साथ भाग जाती है तो इलाक़े के थाने में रखी हुई किताब एक कहानी को जनम देती है जिस की वरक़-गर्दानी करते हुए कितने ही राशी अफ़सर मुअत्तल हो चुके हैं लेकिन आज भी जुमा के ख़ुत्बे से पहले इलाक़े का मौलवी सआदत-हसन-मंटो को गाली देना नहीं भूलता