लड़कियों से ज़ियादा ख़ूबसूरत मौसमों में ये दरिया कहाँ ले जाते हैं क्या पहाड़ों में चकोरों की बस्तियों से उधर भी परिंदे उड़ते हैं या धुंद के दूसरे किनारे अंधेरे ख़ाली हो जाते हैं कोई पूछे ऐसी मूसला-धार हवाओं में उड़ते हुए रास्ते कहाँ ले जाते हैं क्या आँसूओं में ख़्वाब देखने के दुखों से उस पार ज़मीन बहुत सब्ज़ हो जाती है और आसमाँ शहरों के चेहरे भूल जाता है सच पूछो तो आसमान का प्यार समुंदर के पानियों से ज़ियादा ख़ूबसूरत है और तेरी छातियों की ख़्वाहिश जंगली फलों से ज़ियादा वहशी कौन बताए ऐसी रातों में जब फूल धनक बन जाते हैं परिंदे अलाव ताप कर ज़मीन छोड़ देते हैं हम कितना मर जाते हैं