कितना नादान हूँ अभी तक मैं जानता हूँ के एक दिन तुम को दूर होना है मेरी दुनिया से चाहे जाता हूँ तुम को मैं फिर भी और यादों को अपने सीने में यूँ छुपाए हुए हूँ दुनिया से जैसे मोती को सीपी रखती है काश तुम जानतीं तुम्हारे लिए कितने अरमान हैं मेरे दिल में एक अरमान तुम को पाने का एक सदमा तुम्हें गँवाने का एक ख़्वाहिश कि तुम बनो मेरी एक ख़्वाहिश कि तुम क़रीब रहो एक हसरत कि लब तुम्हारे कभी नाम मेरा भी लें मोहब्बत से एक ख़दशा कि तुम को खोने पर दिल मिरा भी कहीं न खो जाए अपनी बर्बादियों का ख़ौफ़ नहीं ख़ौफ़ इतना है कि कहीं तुझ को पाए जाने की मेरी ये कोशिश कर न जाए कहीं तुझे रुस्वा कितना नादान हूँ कि मैं फिर भी चाहे जाता हूँ चाहे जाता हूँ