चलो आओ चलें चलें फिर लौट के वापस उसी अंधी गुफा में हम जहाँ रौशन हुई थी आग पहले-पहल कि अब काली हवाओं से बचाओ का यही इक रास्ता है चलो आओ उन्हीं ग़ारों की जानिब फिर चलें जानाँ और अंदर की बरसती बारिशों में जम के भीगें भीगते जाएँ ठिठुर जाएँ ठिठुर कर सर्द पड़ते जिस्म-ओ-जाँ को हम उसी पहले-पहल की आग से राहत दिलाएँ उसी पहले जनम से फिर करें ना इब्तिदा जानाँ चलो आओ