नज़्म By Nazm << सितम-गर रफ़्तार >> सूरज कितना प्यारा है बादल कितने उजले हैं चारों और दमकते चेहरे कोमल कलियाँ नन्हे पौदे नर्म हवाएँ बहता पानी रोती हँसती सारी आँखें रंग-बिरंगे सारे नग़्मे कितना मन को भाते हैं सच-मुच देखो ज़िंदा रहना कितना अच्छा लगता है Share on: