नज़्म By Nazm << काउन्टर अटैक क़ैद >> हर ज़ख़्म-ए-हुनर से हर दीदा-ए-तर से ख़ामोश सफ़ीनों के लहू रंग-ए-सफ़र से इंसाफ़ जो होगा तो वतन ज़िंदा रहेगा Share on: