नज़्म By Nazm << रंगों का तक़द्दुस एहतिजाज >> मेरे हमराह दुखों का ये झमेला क्यों है ज़िंदगी तू ही बता तेरा रवय्या मुझ से इस क़दर रूठा हुआ इतना सौतेला क्यों है Share on: