मुझे सब ख़बर है उसे भी पता है कि अब वुसअ'तों में नहीं और कुछ भी फ़क़त वुसअ'तें हैं हमें रंगों का इन्द्रजाली तक़द्दुस उठाए उठाए सफ़र की सऊबत यूँ ही झेलनी है ख़बर है कि ख़ुशबू का आकार कुछ भी नहीं है पता है कि लम्स इक क़बा ढूँढता है नफ़स नेज़ों ही पर हवाओं के सर को उठाए उठाए यूँ ही घूमता है जब तक कमीं-गाह से वो न निकलें ख़ुशबू के ख़्वाबों की फ़ितरत न बदले रंगों का ये इन्द्रजाली तक़द्दुस न टूटे सब कुछ पता है मगर मुतमइन हैं