कर्फ़्यू-ज़दा शहर की बेवा सड़कें आँखें खोलती हैं नगर के गर्भ में क्या देखती हैं नहीं मालूम हैरत-ज़दा हैं धरती शायद गर्भ धारण कर रही है चाँद छुप कर खिड़कियों से झाँकता है आवारा कुत्ते टोलियों में भौंकते हैं ज़िंदगी बरहना सो रही है मैं रात सी कट रही हूँ पूरी वादी में कर्फ़्यू नाफ़िज़ है