नज़्म By Nazm << पोस्टर पर एक ख़बर गुम-शुदा >> तहत-ए-शुऊर की तारीकी में इक पज़-मुर्दा गुल-ए-लाला के सुर्ख़ ओ सियह पंखुड़ियों के रेज़े पिछले अठारह बरसों से सिसक रहे हैं Share on: