नमाज़ By Nazm << ज़हर जादू का खेल >> बदल के भेस फिर आते हैं हर ज़माने में अगरचे पीर है आदम जवाँ हैं लात-ओ-मनात ये एक सज्दा जिसे तू गिराँ समझता है हज़ार सज्दे से देता है आदमी को नजात Share on: