मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह कश्ती ले कर लंगर ले कर कश्ती बीच समुंदर ले कर मैं घूमूँगा दुनिया दुनिया लंदन पैरिस क़ुस्तुनतुनिया सैर करूँगा धीरे धीरे मैं ढूँडूँगा नए जज़ीरे मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मुझ में है काफ़ी बल बूता मैं हूँ नन्हा इब्न-ए-बतूता मैं पाकिस्तानी अलबेला वास्को डी गामा का चेला अमरीका की सैर करूँगा अफ़्रीक़ा की सैर करूँगा मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह ढूँडूँगा वो ख़ित्ता कोई नाम नहीं है जिस का कोई सख़्त वहाँ के सौदे होंगे घोड़े जैसे पौदे होंगे रक़्स करूँगा उन यारों में रहते होंगे जो ग़ारों में मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह लिक्खूंगा मैं नील के क़िस्से बातें करती चील के क़िस्से कांगो और कटंगा जा कर जंगल जंगल पत्ते खा कर नीले पत्थर ले आऊँगा परियों के पर ले आऊँगा मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह रॉकेट पर जाना है मुझ को चाँद नगर जाना है मुझ को उतरेगी जब चाँद पे गाड़ी चाल चलूँगा आड़ी आड़ी चाँद की मिट्टी भर लाऊँगा चाँद के पत्थर लाऊँगा मैं हूँ इक नन्हा सय्याह मैं हूँ इक नन्हा सय्याह