अपने अल्लाह से लौ लगाऊँ मैं ज़िंदगी ख़ूब-तर बनाऊँ मैं सब को अपने गले लगाऊँ मैं एक बच्चे की आरज़ू है ये एक बच्चे की जुस्तुजू है ये नेकियों को जहाँ में आम करूँ बस यही काम सुब्ह-ओ-शाम करूँ जग में रौशन वतन का नाम करूँ एक बच्चे की आरज़ू है ये एक बच्चे की जुस्तुजू है ये सारी दुनिया के काम आऊँ मैं भूले भटकों को रह दिखाऊँ में सब को पैग़ाम-ए-हक़ सुनाऊँ में एक बच्चे की आरज़ू है ये एक बच्चे की जुस्तुजू है ये सब से पेश आऊँ मैं शराफ़त से बात सब से करूँ मोहब्बत से प्यार हो मुझ को इल्म-ओ-हिकमत से एक बच्चे की आरज़ू है ये एक बच्चे की जुस्तुजू है ये