नन्ही चिड़िया By Nazm << पेड़ की शाख़ों पर मेरे लब सिले हैं >> मेरे अंदर कहीं चुप सी पड़ी है एक नन्ही चिड़िया वो अब नहीं फुदकती नहीं चहकती न ही बारिश में अपने पर भिगोती है डर कर बिजली से किसी वसीअ' सीने में सिमटना नहीं चाहती बस आईने में अपनी चोंच पटकती है जाने क्या कहना चाहती है मेरे अंदर की नन्ही चिड़िया Share on: