नक़्श-ए-ना-तमाम By Nazm << नज़्में नई धूप की भीक >> छत पे दीवारों पे दर पर खिड़कियों में मेज़-ओ-कुर्सी पर किताबों और रिसालों में जिधर देखो उधर एक तस्वीर-ए-हिना एक साया एक अक्स एक नक़्श-ए-ना-तमाम यूँ उभरता है सदा जैसे हो मेरा ख़ुदा Share on: