मैं भी इस अहद का एक सुक़रात हूँ रोज़ पीता हूँ ज़हराब तन्हाई का सुब्ह से शाम तक ख़ुद से मिलने की कोशिश में रहता हूँ मैं और शायद यही इक सबब है जो तन्हा हूँ मैं मुतमइन हूँ कि मैं इस नए अहद का एक सुक़रात हूँ रोज़ पीता हूँ ज़हराब तन्हाई का और ज़िंदा हूँ मैं