नए अहद का नया सवाल By Nazm << रेल गाड़ी शम-ए-रह-गुज़र >> ये बात रोज़-ए-अज़ल से तय है ज़मीन जिस्मों का बोझ उठाएगी आसमाँ पर रहेंगी रूहें मगर कोई है जो ये बताए हमारी परछाइयों की क़ब्रें कहाँ बनेंगी? Share on: