नेमुल-बदल By मजबूरी, बोल्ड पोयम, Nazm << लहरों का आतिश-फ़िशाँ मैं अगर क्रोना से मारा गय... >> अच्छा तो ये तीसरी फोटो वाली सौ में आप को जचती है आठ बजे... कल रात... यहीं ले आऊँगी मैं शर्मिंदा हूँ वो कलमोही लम्बी कार में कोह-ए-मरी को चली गई बाबू जी गर बुरा न मानें तो इक बात कहूँ मैं हाज़िर हूँ Share on: