ऐ मिरी प्यारी अम्माँ आना निन्दिया आई मुझ को सुलाना सुस्त हैं आ'ज़ा मेरे सारे आँखें बंद हैं नींद के मारे खाना पीना बातें करना कुछ भी मुझ को अब नहीं भाता अम्माँ मेरा बिस्तर लाना नींद आई है मुझ को सुलाना जल्दी फिर उठना है मुझ को देर न मकतब जाने में हो सुब्ह को जिस दम सो के उठूँगा अपने खिलौने तुम से लूँगा भाई जान अब तुम भी आओ अपने बिस्तर पर सो जाओ रात है सोने ही को बनाई सो रहो तुम भी 'जौहर' भाई