रात की आँखें काली काली पलक झपकते सपने नींद की लहरें सोती जागती आँखों में जब आएँ काना-फूसी करती हवाएँ जंगल पर लहराएँ मद-होशी फैलाएँ रूठे रूठे ख़्वाब हमारे होते हैं जब अपने नन्ही नन्ही आँखों में है चंचल रात का जादू हर पत्ते पर जुगनू चमकें छन-छन करते घुंघरू ख़ामोशी है हर सू मीठी नींद में पँख-पखेरू लगते हैं सब बहने रात की आँखें काली काली पलक झपकते सपने