परिंदा By Nazm << ख़्वाब-ए-हसीं रुबाई क्या है >> बहुत सफ़्फ़ाक हो तुम भी मोहब्बत ऐसे करते हो कि जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रक्खा हो Share on: