है रुबाई रुबअ' से बच्चो सुनो चार मिसरों को तुम इस के पहचान लो हैं रुबाई के औज़ान ही कुछ अलग जानता है इसे उर्दू वालों का जग करती है ये नसीहत की बातें बहुत इस में हैं बस सदाक़त की बातें बहुत इस का इक वज़्न मख़्सूस है दोस्तो क़ितए' से है रुबाई अलग जान लो हाँ रुबाई तो फ़ारस की ईजाद है फ़ारसी और उर्दू में आबाद है हैं रुबाई के उर्दू में शाइ'र बहुत 'जोश'-ओ-'अमजद' भी ठहरे हैं माहिर बहुत तुम भी 'हाफ़िज़' रुबाई कहो बार बार लाओ बच्चों की नज़्मों में ताज़ा बहार