ए'तिराफ़ By किस, तस्वीर, Nazm << एक शायर एक नज़्म ठहरे हुए मौसम की एक नज़्म >> जाने कब तक तिरी तस्वीर निगाहों में रही हो गई रात तिरे अक्स को तकते तकते मैं ने फिर तेरे तसव्वुर के किसी लम्हे में तेरी तस्वीर पे लब रख दिए आहिस्ता से! Share on: