पसंद By Nazm << इस्फ़न्ज की अंधी सीढ़ियों ... ज़मीं का क़र्ज़ >> दिन भरते हैं दुख बढ़ते हैं ख़ुशियाँ कितनी कम हैं आसमान कितना ऊँचा और ज़मीं कितनी छोटी चाँद ज़मीन के गिर्द चक्कर लगाता है फिर भी ज़मीन सूरज ही के गिर्द घूमती है शायद उसे भी पसंद है तपिश में पिघलना Share on: