पतंग By Nazm << शिकस्त नया मकान >> कभी कभी मन करता है पतंग बन कर आसमान में उड़ने का घर की टूटी छत पे चढ़ कर देखता हूँ रंग-बिरंगी कई पतंगें लेकिन नीले आसमान को देख नहीं पाता हूँ मैं दिखाई देती है बस मुझ को अपनी पतंग आसमान और मिरे दरमियाँ हाइल एक पतंग Share on: