शिकस्त By Nazm << आधी गवाही पतंग >> उस ने ये सोच के तोड़ा था मिरा दिल कि मिरे दिल में कोई अक्स ही उस का न रहे अब ये आलम है कि जितने भी हैं दिल के टुकड़े अक्स इतने ही मिरे दिल में हैं शामिल उस के Share on: