पत-झड़ की एक सुब्ह By Nazm << ख़ुश्बू का ज़वाल तरदीद >> सूखी धरती पे चुप चुप बरसने लगीं नीम की पतियाँ नीचे झुकने लगा नील-गूँ आसमाँ नाम ले कर मिरा दूर से जैसे कोई बुलाने लगा याद आने लगा एक गुज़रा हुआ दिन उम्मीदों-भरा हल्के हल्के से रंगों में चलने लगी दौर के शहर की ठंडी ठंडी हवा Share on: