ख़ुश्बू का ज़वाल By Nazm << तुम नींद में बहुत ख़ूब-सू... पत-झड़ की एक सुब्ह >> एक हवेली ढा कर! तुम ने इक ऊँचा ऐवान बनाया सारे साज फ़राहम कर के ख़ूब सँवारा ख़ूब सजाया और हवेली के मलबे को! ऐसी जगह फेंकवाया जहाँ पर एक गुलाब की शाख़-ए-नौ पर एक नवेला फूल खिला था फूल भी कैसा! जिस से सब की रूह मोअत्तर हो जाती थी! Share on: