पत्ते का ग़म By Nazm << ग़ज़ाल-ए-शब के साथ पेड़ लगाएँ >> इस के हरे रहने सूखने झड़ने से फ़र्क़ कुछ पड़ता नहीं है पेड़ को क्या इसी ग़म में घुल जाता है पत्ता Share on: