पिछली रात By Nazm << कैमरा ज़र्द सूरज >> रात कमरे में ही भटकती रही नींद भी बे-क़रार थी मेरी ख़्वाब भी ऊँघने लगे सारे मुझ को बिस्तर बुला रहा था बहुत करवटें देखने लगी रस्ता और तन्हाई शोर करने लगी जागते जागते थका मैं भी और फिर सुब्ह सुब्ह आख़िर-कार मैं तिरी याद ओढ़ कर सोया Share on: