मोहब्बत की मुरली बजाए चला जा मोहब्बत के नग़्मे सुनाए चला जा मोहब्बत की मीना को बढ़ कर उठा ले मोहब्बत के साग़र लुंढाए चला जा पर्बत है मन उस की गंगोत्री से मोहब्बत की गंगा बहाए चला जा मोहब्बत के सागर में बन कर खेवय्या मोहब्बत की नय्या तिराए चला जा मोहब्बत की दुनिया के रंगीन क़िस्से सुना कर दिलों को लुभाए चला जा मसर्रत की ख़ुशबू ज़माने में फैले मोहब्बत के ग़ुंचे खिलाए चला जा अदावत के पेड़ों को जड़ से हटा कर मोहब्बत के पौदे लगाए चला जा मोहब्बत से बढ़ कर नहीं कोई जादू मोहब्बत का जादू जगाए चला जा है जब तक तिरी जान में जान 'नय्यर' यही गीत दिन-रात गाए चला जा