प्रीत की रीत नियारी जग से प्रीत की रीत नियारी दुनिया वाले जब सोते हैं प्रेमी छुप छुप कर'' रोते हैं व्याकुल और बे-सुध होते हैं प्रेम मंदर के पुजारी जग से प्रीत की रीत नियारी जो न चाहे बात भी करना उस को चाहना उस पर मरना मन की बात बताते डरना बन कर प्रेम भिकारी जग से प्रीत की रीत नियारी चोटें खाना दर्दें पीना जीना मरना मरना जीना दिल फटना आशा से सीना खा कर प्रेम कटारी जग से प्रीत की रीत नियारी