चलो कि पहले नफ़रतों की आन-बान तोड़ दें ये वक़्त की पुकार है अलग अलग ये रास्तों पे रेंगते से क़ाफ़िले क़दम क़दम मुसाफ़िरों के टूटते से हौसले ये रेंगते से क़ाफ़िलों को टूटते से हौसलों को इक डगर से जोड़ दें ये वक़्त की पुकार है ये शहर शहर ख़ून के बहाव में बसा हुआ ये गाँव गाँव आपसी तनाव में कसा हुआ ये ख़ून के बहाओ की ये आपसी तनाव की कलाइयाँ मरोड़ दें ये वक़्त की पुकार है गली गली टटोलती घटाएँ लूट मार की नगर नगर में डोलती हवाएँ इंतिशार की ये लूट-मार की घटा ये इंतिशार की हवा समुंदरों में छोड़ दें ये वक़्त की पुकार है ये आदमी से आदमी की दूरियाँ ये खाइयाँ ये अपने हाथ से तबाह हो के फिर दुहाइयाँ ये दूरियाँ ये खाइयाँ ये चीख़ ये दुहाइयाँ हर इक क़दम झिंझोड़ दें ये वक़्त की पुकार है ये सूखे सूखे फूल पर बहार की जवानियाँ ये झुलसे झुलसे रंग रूप बाग़ की निशानियाँ जवानियों के जाम में निशानियों की शाम में रुतों का ख़ूँ निचोड़ दें ये वक़्त की पुकार है