ये वो गुलशन है जिस में फूल खिलते हैं अहिंसा के इसी की गोद ने पुर-अम्न इंसानों को पाला है ये वो धरती है जिस में वीरता परवान चढ़ती है इसी की गोद ने वीरों को बलवानों को पाला है इसी की कोख ने पैदा किया है उन जवानों को जो अपनी आन अपने बाँकपन की लाज रखते हैं वतन की आबरू पर गर ज़रा भी आँच आती है तो अपनी जान दे कर ये वतन की लाज रखते हैं यहाँ का ज़र्रा ज़र्रा चाँद और सूरज से बढ़ कर है मुबारकबाद दो इस मातृभूमि के उजालों को यहाँ से एकता का प्यार का पैग़ाम मिलता है मुबारकबाद दो इन मस्जिदों को इन शिवालों को लगाओ आज अपने देश की मिट्टी के जय-कारे लगाओ आज इस धरती की ज़िंदाबाद के नारे