क़ैदी By Nazm << रद्द-ए-'अमल पशेमान >> ये बात सच है मैं एक क़ैदी हूँ क़ैद है क़ैद-ए-बा-मशक़्क़त सज़ा ‘उम्र-क़ैद की है जुर्म उस को कौन जाने सुना है सब कुछ वो जानता है Share on: