रद्द-ए-'अमल By Nazm << सज़ा क़ैदी >> कुछ दिन पहले इक दिन मैं ने छोटी सी ये बात कही थी तोड़ के दिल का आईना ही जौहर जैसी शय मिलती है तब से लोग मुसलसल मेरे आईने पर कंकर पत्थर बरसाते हैं Share on: