तुम को पा लेने की धुन में दुनिया ओढ़ी रंग-बिरंगे कपड़े पहने पेशानी पर सूरज बाँधा आँगन भर में धूप बिछाई दीवारों पर सब्ज़ा डाला फूलों पत्तों से अपनी चौखट रंगवाई मौसम आए मौसम बीते सूरज निकला धूप खिली फिर धूप चढ़ी और और चढ़ी फिर शाम हुई फिर गहरी काली रात हुई