यहीं कुछ लोग रहते थे कि जिन के धूल-मिट्टी से अटे जिस्मों की ख़ुश्बू अब हमारे दिल की धड़कन है जो दुख की राख को अपने लहू की आँच दे कर ज़माने में मसर्रत की तवानाई लुटाते थे जो लोगों बेकसों नादार इंसानों की ख़ातिर अपनी ख़ुशियाँ भूल जाते हैं यही वो लोग थे वो दिलरुबा इंसाँ जो इंसानों से बढ़ कर ख़ूबसूरत थे