फिर आज्ञा जहाँ में रमज़ान का महीना अल्लाह के करम और एहसान का महीना अल्लाह की इनायत और उस की ख़ास रहमत हम को अता किया है क़ुरआन का महीना दी है हमें ख़ुदा ने रोज़े की ऐसी ने'मत अहल-ए-ख़िरद समझते हैं इस की क़द्र-ओ-क़ीमत शैतानी हरकतों से रक्खे है दूर रोज़ा बख़्शे है आदमी को दिल का सुरूर रोज़ा अहकाम पर ख़ुदा के हम को चलाए रोज़ा हम को फ़रिश्तों से भी अफ़ज़ल बनाए रोज़ा हुक्म-ए-ख़ुदा की जिस ने तामील कर ली बच्चो उस की इनायतों से झोली भी भर ली बच्चो ये ज़ब्त-ए-नफ़्स का है और सब्र का महीना हम को सिखा रहा है जीने का इक क़रीना हैं किस क़दर मुनव्वर रातें इबादतों से और इत्र-बार से हैं दिन भी रियाज़तों से रब ने अता की हम को इफ़्तार की फ़ज़ीलत आई समझ में खाने पीने की क़द्र-ओ-क़ीमत ऐ रब क़ुबूल कर ले मोमिन की ये रियाज़त अपने नबी के सदक़े में दे दे सब को जन्नत