रंग-ए-बहार By Nazm << ख़्वाहिश उम्मीद >> काँपते हाथ मिरे एक दुआ को उट्ठे ऐ ख़ुदा आज मिरे ख़्वाब की ता'बीर मिले या न मिले मो'जिज़े हों कि न हों फिर बशारत नई सुब्हों की मिले या न मिले ऐ ख़ुदा आज कोई अच्छी ख़बर शहर-आशोब से इस शहर-ए-बुताँ तक पहुँचे Share on: